Itihaas par Kavita
Itihaas par Kavita

इतिहास

( Itihaas ) 

 

तकलीफ तो होती ही है, इतिहास पढ करके मुझे।
सब सच पे झूठ को लाद कर, बकवास पढ करके मुझे।
तकलीफ तो होती ही है….

यह राम कृष्ण की है धरा, जो चिर सनातन सत्य है,
फिर क्यो बनाया सेकुलर, यह बात टिसती है मुझे।
तकलीफ तो होती ही है….

मुगलों की जय जयकार की, जो इक लुटेरी कौम थी।
वहशी वो बर्बर जातियाँ, जो लिख दिया सिरमौर्य थी।
तकलीफ तो होती ही है….

जो कहते है उसने बनाया, था किला अट्टालिका
कुछ महल कुछ मीनार थे, कुछ मस्जिदो का काँरवा।
तकलीफ तो होती ही है….

मै पुछता हूँ उनसे जो, इतिहास लिख करके गये।
क्यो ना पढाया राम मंदिर, तोड कर वो क्यो गये।
तकलीफ तो होती ही है…..

क्यो ना लिखा संयोगिता के साथ, किसने क्या किया।
उस काली मंदिर पर बताओ, जामा मस्जिद क्यो बना।
तकलीफ तो होती ही है…

क्यो ना पढाया बन्द दरवाजे, के पीछे क्या छुपा।
वो शिव का मंदिर ताज है, हर हिन्दू ने इसको कहाँ।
तकलीफ तो होती ही है…

मै हिन्दू हूँ मुझको पढाओ मेरा गौरव कौन था।
गोविन्द सिंह के बच्चों को, काटा वो पापी कौन था।
तकलीफ तो होती ही है….

मै क्या करूगाँ जान कर बाबर का वंशज कौन था।
क्यो ना पढाया वृहद भारत का वो राजा कौन था।
तकलीफ तो होती ही है…..

क्यो ना पढाया लक्ष्मीबाई, की वो संतति क्या हुई।
नालन्दा को जिसने जलाया, महिमामण्डित क्यो हुई।
तकलीफ तो होती है…..

मुझको बताओ दुसरा नेहरू, कहाँ पर खो गया।
कश्मीर की घाटी में मुझको, क्यो नही आखिर मिला।
तकलीफ तो होती है….

क्यो नाम बदला और कहाँ, कि शेर सारे हिन्दू है।
इतिहास को बदला कहाँ, भारत के चन्द्रबिन्दू है।
तकलीफ तो होती ही है…..

 

कवि शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

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