Ja-Ra-Mat Bhojpuri Kavita -जरअ मत !
जरअ मत !
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(भोजपुरी भाषा में)
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तुम्हें कब मना किया है किसी से प्रेम करने को तुम्हें कब मना किया है लेकिन! प्यार करना तुम ….. किसी से प्यार करना कहाँ गलत है….? बस….! इतना ध्यान रहे कि प्यार में अंधे हो कर अपनों को नहीं भूलें…… उन्हें भी उतना ही प्यार दें……… जितना अपनी प्रेमिका को प्यार देते हो……..!!…
वक्त के साथ ( Waqt ke sath ) अजीब सा चला है दौर आज का लोग तो पहले गम भी बांट लेते थे अब तो खुशियों मे भी शरीक होने का वक्त रहा नहीं बदल गया आशीष भी शुभ कामना का बदल गया सुबह शाम का सम्मान भी आया दौर गुड मॉर्निंग, गुड नाईट…
बसंत ( Basant ) चंचल मन हिलोरे लेता, उमंग भरी बागानों में। पीली सरसों ओढ़े वसुंधरा, सज रही परिधानों में । मादक गंध सुवासित हो, बहती मधुर बयार यहां। मधुकर गुंजन पुष्प खिले, बसंत की बहार यहां । गांव गांव चौपालों पर, मधुर बज रही शहनाई है। अलगोजों पर झूम के नाचे,…
जयपुर ( Jaipur ) नगर गुलाबी जयपुर प्यारों सुंदर है आलीशान। राजधानी राजस्थान की रही रजपूतों की शान। रत्न जड़ाऊ मीनाकारी कारीगरी यहां बेजोड़। शिल्पकला मुख से कहती कोई नहीं है तोड़। महाराजा जय सिंह शान से शहर बसाया न्यारा। अनुपम छटा मन को मोहे सबको लगता प्यारा। तीज त्यौहार गणगौर…
भाग्य ( Bhagya ) भाग्य निखर जाये हमारा जब तकदीरे मुस्काती। ग्रह आकर साथ देते, खुशियों की घड़ी आती। सेवा स्नेह संस्कार हृदय में विनय भाव पलता है। सद्भावो की धारा में, पुष्प भाग्य खिलता है। पुष्प भाग्य खिलता है किस्मत के तारे चमकते, सुखों का लगता अंबार। अनुराग दिलों में पलता, जीवन में…
कान्हा की आशनाई ( Kanha ki Aashnai ) अगहन की ठिठुराई में, कान्हा की आशनाई सनातन धर्म द्वादश मास, अद्भुत अनूप पावन महत्ता । अंतर्निहित मांगलिक प्रभा, दिग्दर्शन सेतु परम सत्ता । मगसर माह दिव्यता अथाह, रोम रोम अनुभूत कन्हाई । अगहन की ठिठुराई में,कान्हा की आशनाई ।। जनमानस हर्षित गर्वित , नदी सरोवर…