Home कविताएँ तुम्हें कब मना किया है कविताएँ तुम्हें कब मना किया है By sahit1122 - September 5, 2020 299 0 WhatsApp Facebook Twitter Pinterest Linkedin ReddIt Email Print Tumblr Telegram Mix VK Digg LINE Viber Naver तुम्हें कब मना किया है तुम्हें कब मना किया है किसी से प्रेम करने को तुम्हें कब मना किया है लेकिन! प्यार करना तुम ….. किसी से प्यार करना कहाँ गलत है….? बस….! इतना ध्यान रहे कि प्यार में अंधे हो कर अपनों को नहीं भूलें…… उन्हें भी उतना ही प्यार दें……… जितना अपनी प्रेमिका को प्यार देते हो……..!! प्रेम ये भी नहीं कहता कि कि तुम मेरे साथ प्रेम करोगे तो जो मुझसे पहले तुम्हारे अपने थे उनको छोड़ दो उनको भूल जाओ……! अगर प्रेम ऐसा चाहता है कि वो सबको छोड़ दे तो वहां प्रेम कैसे हो सकता है…? वहाँ सिवाय हवस के ओर कुछ नहीं है. प्रेम तो बिल्कुल भी नहीं हो सकता……..!! कवि : सन्दीप चौबारा ( फतेहाबाद) यह भी पढ़ें : सुण पगली RELATED ARTICLESMORE FROM AUTHOR कविताएँ भेदभाव कविताएँ गलतफहमी! कविताएँ श्याम रे LEAVE A REPLY Cancel reply Please enter your comment! Please enter your name here You have entered an incorrect email address! Please enter your email address here Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.