जब प्यार का गाया मैंने राग है | Ghazal
जब प्यार का गाया मैंने राग है
( Jab pyar ka gaya maine raag hai )
जब प्यार का गाया मैंनें राग़ है
देखो भी खिल उठा फ़ूलों का बाग़ है
की नाम से तेरे तू देखले सनम
उल्फ़त का जल रहा दिल में चराग़ है
वो चोट दें गया दिल पे दग़ा की ऐसी
ये सोचकर परेशां ही दिमाग़ है
पानी पिलाऊं कैसे प्यार का उसे
खोया कहीं मगर मेरा अयाग़ है
गुम हो गया कहीं ख़त प्यार का लिखा
ढूंढ़ा मिला नहीं उसका सुराग़ है
की आज तो भूखा रहना पड़ेगा फ़िर
चूल्हे पे जल गया सारा ही साग़ है
करने गया था आज़म तो भलाई कल
दामन पे लग गये कुछ झूठे दाग़ है