जताते नहीं | Jatate Nahi
जताते नहीं
( Jatate Nahi )
आज कल प्यार क्यों तुम जताते नहीं
रूठने पर मुझे क्यों मनाते नहीं
हारना चाहती हूं मैं सब कुछ मगर
प्यार के खेल में तुम हराते नहीं
मैं तरसती ही रहती हूं लेकिन
कान में चीखकर डराते नहीं
मैं हूं तैयार पर आज कल तुम कभी
प्रेम से उंगलियों पर नचाते नहीं
कौन सी भूल मुझ से कहो हो गयी
प्यार करते तो हो पर जताते नहीं
मैं तरसती ही रहती हूं पर तुम “कुमार”
जोर से चीखकर क्यों डराते नहीं
कुमार अहमदाबादी
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