मन के जज्बात | Jazbaat Shayari in Hindi
मन के जज्बात
( Man ke Jazbaat )
वह बातों में अपनी कभी अपने मन के जज्बात नहीं बताता है,
पर फिर भी मेरी चिंता मुझसे छुपा नहीं पाता है।
वह कहता है बात ना करना मुझसे,
पर बिना बात किए वह खुद भी नहीं रह पाता है।
उससे बात ना हो तो परेशान सा हो जाता है,
वह जानता है कि अनजानो के बीच हूं मैं यह सोच उसका मन घबराता है।
वह कहता है चिंता नहीं उसे मेरी,
पर फिर भी ना जाने क्यों वह रात भर सो नहीं पाता है।
खुद को मजबूत दिखाने के लिए अपने सारे दर्द छुपाता है।
वह मेरी चिंता में सब छोड़ मेरे पास आता है,
वह जो कहता है कमजोर नहीं मैं,
पर मुझे देखकर अपने मन का बांध तोड़ जाता है।
वह परेशान है पर लोग कहते हैं लड़का कहां अपना दर्द दिखाता है,
यह सोचकर वह फिर चुप रह जाता है,
बातें उसकी उसके मन में रह जाती है,
वह बात उसे हर पल परेशान कर जाती है,
उसका दुख पूछूं तो वह खुद को मजबूत दिखाता है,
जब दुख छुपा ना पाए तो मुझ पर चिल्लाता है।
मन में बहुत कुछ है उसके पर वह समझ नहीं पाता है,
वो रोए, हंसे, करें क्रोध या प्रेम यह समझ नहीं पाता है,
उसे प्यार से देखूं तो वह सब भूल मुझ पर प्रेम लुटाता है।
सिद्धि ओझा
( उत्तराखंड )