जीस्त में जब ख़ुशी नहीं मिलती
जीस्त में जब ख़ुशी नहीं मिलती
जीस्त में जब ख़ुशी नहीं मिलती !
दिल को राहत कभी नहीं मिलती
नफ़रतों के चराग़ जलते है
हर दिल में आशिक़ी नहीं मिलती
हो गये लोग बेवफ़ा दिल से
अब सही दोस्ती नहीं मिलती
यार ढूंढू मै कैसे मंज़िल को ।
राह में रोशनी नहीं मिलती
हो गयी नफ़रतों की बू ताजी
प्यार की ताज़गी नहीं मिलती
जो बिछड़ जाती प्यार की राहें ।
फिर वो राहें कभी नहीं मिलती
कोई अच्छा कोई बुरा आज़म
आदतें एक सी नहीं मिलती
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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