Hindi Poetry On Life -जिंदगी कटी पतंग है
जिंदगी कटी पतंग है
( Jindagi Kati Patang Hai )
जिंदगी कटी पतंग है, कठिनाइयों से तंग है!!
छोर का पता नहीं कुछ डोर का पता नहीं
जाएगी किधर किसी ओर का पता नहीं
पता नहीं दूर कब , कब अपने संग है …
जिंदगी कटी पतंग है …
कभी पास में गिरे , कभी दूर में गिरे
कभी संभल कर उड़े फिर धीरे
कब कहां गिरे किधर, पता नहीं ढंग है.
जिंदगी कटी पतंग है …
धरा पर पड़े कभी , गगन पर चढ़े कभी
हवा संग बढ़े कभी , हवा से लड़े कभी
कब हवा के साथ में ,कब हवा से जंग है
जिंदगी कटी पतंग है….
कभी गोल गोल घूमे हवा के संग झूमे
कभी चीरती शुन्यता गगन को फिर से चूमे
एक पल घोर उदासी ,फिर नई उमंग है
जिंदगी कटी पतंग है….
उड़ने से कभी आशा गिरने से फिर निराशा
जीवन है कितना अस्थिर होती बड़ी हताशा
कहना बड़ा है मुश्किल ,जीवन के कितने रंग हैं
जिंदगी कटी पतंग है….