जीवन का अक्स | Jivan Shayari
जीवन का अक्स
( Jivan ka aks )
उजालों की बातों से दिल घबराता है,
अंधेरा हर कदम कितना दहलाता है।
जीने की मज़बूरियां सबकी है अपनी,
अक्सर दुख की नदियाँ में तैराता है।
मौसमी नमी से निज़ात पा ले मगर,
सूखे वो न जो आँखों में गहराता है।
बरसने की मंशा भरकर भी कोई,
बादल शहर देख कर उड़ जाता है।
बनते बिगड़ते बुलबुलों में कहीं अब,
जीवन का अक्स नज़र सा आता है।
शैली भागवत ‘आस
शिक्षाविद, कवयित्री एवं लेखिका
( इंदौर )