जो बीत गयी वो बात नहीं
जो बीत गयी वो बात नहीं
जो बीत गयी वो बात नहीं
जो गुजर चुकी वो रात नहीं
मैं खाली हूँ अपनें पन से
क्यों इश्क़ करुं मैं बेमन से
मैं टूट रहा लम्हा लम्हा
हाँ जीता रहूंगा मैं तन्हा
अब तू भी नहीं तेरा साथ नहीं
अब दर्द नहीं ज़ज्बात नहीं
ये गेसू तेरे उलझे उलझे
अंदाज़ तेरे है अन सुलझे
क्यों रहता हो तन्हाई में
क्या डरता है परछाई से
जो छुट गया वो साथ नहीं
जो बरस चुकी बरसात नहीं