जो किया मिलनें का वो वादा बदलती
जो किया मिलनें का वो वादा बदलती
जो किया मिलनें का वो वादा बदलती
दोस्त वो बातें लम्हा लम्हा बदलती
साथ क्या मेरा निभायेंगे जीवन भर
देखकर मुझको वही चेहरा बदलती
आदमी इतना बुरा हूँ शक्ल से क्या मैं
जो मुझे वो देखकर रस्ता बदलती
किस तरह उसपे यकीं कर लूं भला मैं
रोज़ अपना प्यार का लहज़ा बदलती
चांद से चेहरे का जब दीदार होता
जब हवा उसके घर का पर्दा बदलती
दोस्ती का चाहती रिश्ता रखना आज़म
वो मगर अब प्यार का रिश्ता बदलती