काम कोई दुआ नहीं आई
काम कोई दुआ नहीं आई
वक़्त पर जब दवा नहीं आई
काम कोई दुआ नहीं आई
मुझको गूंगी लगी ये दुनिया फिर
एक आवाज़ क्या नहीं आई
कितना फूटा हौआ है भाग मेरा
वो गया और क़ज़ा नहीं आई
झूट बोलो तो झूट सच ही लगे
एक बस ये अदा नहीं आई
फ़ायदा कुछ नहीं मिला मुझको
बेवफ़ा को वफ़ा नहीं आई
सबसे पूछा किया ‘असद’ शब भर
यार वो आई या नहीं आई
असद अकबराबादी