कहीं किसी रोज | Kahin kisi roz | Kavita
कहीं किसी रोज
( Kahin kisi roz )
आओ हम चले कहीं मिले कभी किसी रोज।
महफिल जमाकर बैठे मौज से करेंगे भोज।
पिकनिक भ्रमण करें घूमे हसी वादियो में।
झूमे नाचे गाए हम जा बेगानी शादियों में।
सैर सपाटा मौज मस्ती आनंद के पल जीये।
खुशियों के मोती वांटे जीवन का रस पीये।
कहीं किसी रोज हम काम ऐसा कर जाए।
दुनिया याद करें हमें बुलंदियों को हम पाए।
प्रीत के तराने छेड़े गीत गाए बहार के।
दिलों में उमंगे उमड़े बोल मीठे प्यार के।
दिल में बसा सके हम वो किरदार निभाएंगे।
आसमा की बातें छोड़ो दिलों पे छा जाएंगे।
शब्द सुधारस घोलकर सबको पिलाएंगे।
हम भी अपनी मस्ती में झूम झूम गाएंगे।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )