
मन मे उडे उमंग
( Man me ude umang )
फागुन के दिन थोडे रह गये, मन मे उडे उमंग।
काम काज मे मन नही लागे, चढा श्याम दा रंग।
नयन से नैन मिला लो हमसे, बिना पलक झपकाए।
जिसका पहले पलक झपक जाए, उसको रंग लगाए॥
बरसाने मे राधा नाचे गोकुल मे श्रीश्याम।
सीता के संग होली खेले,अवध मे राजा राम॥
काशी मे होली के रंग मे, उडे है भांग गुलाल।
मस्ती मे शिव शम्भू नाचे, गौरा पिसे भांग॥
पीली पीली सरसो खिल गए, बहे है मदन बयार।
अंग अंग टूटे है तन मे, कामदेव का चढ बुखार॥
हम भी खेले तुम भी खेले, लाज का घुँघट त्याग।
शेर के तन पे मस्ती चढ गयी,आओ खेले फाग॥
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
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