कैसे उसको हम भुलाये
कैसे उसको हम भुलाये

कैसे उसको हम भुलाये

( Kaise usko hum bhulaye )

 

 

रोज़ इतना याद आये

कैसे उसको हम भुलाये!

 

वो बहुत बैठा खफ़ा है

दोस्त को कैसे मनाये

 

वो लगा है तोड़ने में

दिल से हम रिश्ता निभाये

 

बेवफ़ाई की कर बातें

दिल वफ़ा में जलाये

 

वो हक़ीक़त में न आये

ख़्वाब में आकर  सताते

 

क्या हंसी देगा लबों पे

वो मुहब्बत में  रुलाये

 

करके बातें वो दग़ा की

रोज वो आज़म दुखाये

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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