कान्हा इस युग में भी आना
कान्हा इस युग में भी आना
इस युग में भी आना कान्हा…,
इस युग में भी आना …
नहीं चाहिए मयुर पंख,
न धुन बंसी मधुर बजाना …
कान्हा ..इस युग में भी आना…।
जगह जगह बिसात बिछाये,
बैठे शकुनि घात लगाये,
हाथ सुदर्शन चक्र लिए
तुम चमत्कार दिखलाना…,
कान्हा… साथ सुदर्शन लाना…,
कान्हा ..इस युग में भी आना।
दुःशाासन मिलते हर चौराहे,
कैसे नारी खुद को बचाये?
उनमें दुर्गा काली रूप जगाने,
शस्त्र शक्ति से परिचित करवाने
शंखनाद बजाना…कान्हा… इस युग में भी आना..।
द्रोपदियों की लाज बचाने ,
समर्थवान उन्हें कर जाने,
गीता का ज्ञान बताना…,
कान्हा,इस युग में भी आना
हर युग में आने का अपना वादा तुम निभाना…,
कान्हा इस युग में भी आना…..।
भीड़ पड़ी तेरे भक्तों पर
आकर थाह लगाना कान्हा…
हर युग में आने का अपना वादा तुम निभाना..,
कान्हा इस युग में भी आना….।
सुमन शर्मा
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