जल की महत्ता | Kavita Jal ki Mahtta
जल की महत्ता
( Jal ki Mahtta )
पशु पक्षी पेंड़ और मानव,
जितने प्राणी हैं थल पर,
जल ही है सबका जीवन,
सब आश्रित हैं जल पर,
जल बिन कहीं नहीं है जीवन,
चाहे कोई भी ग्रह हो,
जल बॅचे तो बॅचे सब जीवन,
इसलिए ही जल का संग्रह हो,
जल से ही हरियाली आती,
उगते वृक्ष पुरवाई चलती,
वाष्प रूप जल पीते बादल,
फिर धरती पर बरसाते जल।
आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)