कर रहा ग़म भरी मयकशी आज फ़िर
कर रहा ग़म भरी मयकशी आज फ़िर
कर रहा ग़म भरी मयकशी आज फ़िर!
ढ़ल गयी जीस्त से जब ख़ुशी आज फ़िर।।
दोस्त था वो मेरा पर ये क्या कर गया ।
कर गया वो बहुत दुश्मनी आज फ़िर।।
क्या निभाएगा वो राब्ता प्यार का ।
वो दिखा बस रहा बेरुख़ी आज फ़िर।।
अपना समझा नही उसने मुझको कभी ।
कह रहा वो मुझे अजनबी आज फ़िर ।।
कुछ पलों के लिए बस रही है ख़ुशी ।
हो गयी ग़म भरी जिंदगी आज फ़िर।।
प्यार की तोड़कर नफ़रतों की वही।
कर दी दीवार उसने खड़ी आज फ़िर ।।
जो नहीं मेरा आज़म हुआ हम सफ़र।
उसकी दिल में उठी बेकली आज फ़िर।।