Kavita Aanandita Spandan

आनंदिता स्पंदन | Kavita Aanandita Spandan

आनंदिता स्पंदन

( Aanandita Spandan )

आनंदिता स्पंदन, चिन्मय पथ पर

नेह अंतर मंगल प्रवाह,
सुख वैभव क्षणिक धार ।
तात्विक तथ्य गहन मंथन,
ज्योतिर्मय दर्शन साकार ।
चंचल चितवन आरूढ़,
नवल धवल भव रथ पर ।
आनंदिता स्पंदन, चिन्मय पथ पर ।।

दृष्टि बिंब नैतिक सात्विक,
आस्था स्पर्श अलौकिक छोर ।
क्रोध वैमनस्य मूल अवसान,
सर्व खुशियां मांगलिक ठोर ।
मानव सेवा परम प्रतिष्ठा,
परहित धर्म कर्म मथ कर ।
आनंदिता स्पंदन,चिन्मय पथ पर ।।

संघर्ष बाधा आत्म चिंतन,
स्नेहिल समस्या समाधान ।
सर्वस्व सदा अर्पण तर्पण,
अनुनय विनय भाव प्रधान ।
दिग्भ्रमित राह पटाक्षेप,
प्रतिरोध सर्वत्र कथ पर ।
आनंदिता स्पंदन, चिन्मय पथ पर ।।

समता समानता शीर्ष स्पंदन,
आदर सत्कार आचार विचार ।
सम्यकता नित्य आत्मसात,
अपनत्व पूर्ण मृदुल व्यवहार ।
स्वर्ग सदृश जीवन उपवन,
प्रज्ञान ज्योत्स्ना शपथ पर ।
आनंदिता स्पंदन, चिन्मय पथ पर ।।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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