होली में बरसे रंग प्यार के
( Kavita Holi me Barse Rang Pyar ke )
होली मे बरसे रंग प्यार के,
आओ रंग दे तुम्हें गुलाल से।
ढोलक और चंग आज बजाएं,
रंग दे तुम को हर एक रंग से।।
जागी है मन में आज उमंग,
बुराई का करेंगे हम तो दमन।
हिन्दू मुस्लिम या सिख ईसाई,
साफ़ रखो सब अपना ये मन।।
सात रंग में सजी प्यारी धरती,
काली पीली नीली बैंगनी व लाल।
प्रकृति भी रंगी है अपने रंग में,
हम भी खेलेगे भैया आज गुलाल।।
जब रंग प्यार के बरस जाते,
नफ़रत को दिल से मिटा देते।
दुश्मन भी आज गले मिल जाते,
मन की कड़वाहट को दूर कर देते।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )