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आसमान तक पहुंच हो

आसमान तक पहुंच हो

 

आसमान तक पहुंच हो, धरती पर हो पांव।
कर लो शुभ कर्म ऐसे, रोशन हो जाए गांव।

कीर्ति पताका नभ छाए, दुनिया में हो नाम।
आओ मिलके हम करें, परोपकार के काम।

लाठी का सहारा बने, स्नेह की बहती धारा।
बस जाए दिलों में हम, आंखों का बन तारा।

दुआओं से झोली भर, बांटे प्रेम की रसधार।
क्या रखा है दुनिया में, केवल सच्चा प्यार।

करो बढ़ाई औरों की, सबको मिले सम्मान।
दीपक बन रोशन करे, नव पीढ़ी बांटे ज्ञान।

बस माटी से जुड़े रहे, प्रेम की बनकर डोर।
संस्कारों के मोती चुनो, सदा रहो सिरमौर।

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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