हम अपने भाग्य के निर्माता स्वयं है | Kavita Apne Bhagya ke
हम अपने भाग्य के निर्माता स्वयं है
( Hum apne bhagya ke nirmata swayam hai )
हर एक इंसान मे होता है कोई न कोई हुनर,
अलग-अलग काम करता ये है उसका कर्म।
अपने आप को कोई समय से ही जगा लेता,
लेकिन कई नींद में अपनी उम्र निकाल देता।।
किसी का छिप जाता किसी का छप जाता,
टेलिविज़न पर आकर सुर्खियों में आ जाता।
इन अखबारों एवं पत्रिकाओं में उसका नाम,
क्योंकि स्वयं होता अपने भाग्य का निर्माता।।
अपने-अपने कर्मो का फल होता यही भाग्य,
और शुभ कर्म का फल ही होता है सौभाग्य।
जो लगाता है अपना जीवन अशुभ कर्मों में,
उस का पारितोषिक ही होता है यह दुर्भाग्य।।
जीवन पथ में सब को नही मिलती सफलता,
दूसरों का मुँह ताकने वाले पाते है विफलता।
ईश्वर ने दिया है सब को एक जैसा ही स्वरुप,
बुद्धि, स्मरण शक्ति जोश होश कार्य क्षमता।।
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