Kavita chandraghanta

चंद्रघंटा | Kavita chandraghanta

चंद्रघंटा

( Chandraghanta )

 

नवशक्ति नव दुर्गा मां, चंद्रघंटा मस्तक सोहे।
अभयदान देने वाली, चंद्र रूप अति सुंदर मोहे।

 

दस भुजधारी सिंह सवारी, दुष्टों का संहार करे।
सबके संकट हरने वाली, काज सारे सिद्ध करें।

 

बुद्धि दात्री वैभव दाता, उर आनंद मोद भरे।
शक्तिस्वरूपा मात भवानी, साधक रणविजय धरे।

 

चमका दे भाग्य सितारे, चंद्रमा की कलाओं से।
नवनिधि अष्टसिद्धि दे, दक्षता नव विधाओं से।

 

सुख समृद्धि कीर्ति दाता, मां भक्तों की पीर हरो।
मुख मुद्रा मुस्कान भरी, घट घट माता नेह भरो।

 

कृपा दृष्टि पाकर माता, आराधक होते निहाल।
खुशहाली से भर जाए, झोली घर हो मालामाल।

 

प्रेम की गंगा बहा दो, मां घर घर उमड़े प्यार।
तेरी पूजा करे अर्चना, मां सुंदर तेरा दरबार।

 ?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *