गौर किया कर | Kavita Gaur Kiya Kar
गौर किया कर
( Gaur Kiya Kar )
जुमला है ये कठिन मगर कर,
सोच समझ अपनाया कर,
किसी को हानि न पहुचे वो कर,
खुद को भी हर्षाया कर,
जोड़ के अपने दोनो कर,
सदा बड़ों का आदर कर,
कहा गया जो सदा ही कर,
प्रभु सम्मुख शीश झुकाया कर,
मत औरों की निंदा कर,
अवगुण अपने भी देखा कर,
जब भी तू कुछ लाया कर,
बांट के सबसे खाया कर,
बड़ी कोई शाबासी पा कर,
खुद पर ना इतराना कर,
गल्ती पे माफी मांगी कर,
लेकिन औरों को क्षमा भी कर,
सभी को खुश तू रक्खा कर,
सुख-दुख सबसे बांटा कर,
प्रेम सभी से सच्चा कर,
झूॅठ कभी ना बोला कर,
मिल जाए तो सदा लिया कर,
बिन मांगे ना कभी दिया न कर,
जो बात नसीहत कभी किया कर,
हालातों पर गौर किया कर।
आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)