इस होली का क्या कहना | Kavita Holi ka Kya kahna
इस होली का क्या कहना
( Is holi ka Kya kahna )
देखो राधा संग खेले नंदलाल इस होली का क्या कहना
देखो उड़े चहूँ ओर गुलाल इस होली का क्या कहना
हर गोपी संग दिखते कान्हा
इच्छा पूरी करते कान्हा
चले सब पर मायाजाल
इस होली का क्या कहना
कौन है कान्हा समझ ना पाए
एक दूजे पर रंग लगाए
देखो बिगड़ी सब की चाल
इस होली का क्या कहना
ब्रज की होली इतनी निराली
देवों को भी मोहित कर डाली
सब गोपी बन देते ताल
इस होली का क्या कहना
बरसाने की गोपियाँ निराली
लठ्ठ लेकर निकली सारी
गोप रखे सिर पर ढाल
इस होली का क्या कहना
ब्रज धूली सब अंग में सोहे
भूत बने कान्हा फिर भी मोहे
मिले ना दुनिया में इसकी मिसाल
इस होली का क्या कहना
देखो राधा संग खेले नंदलाल इस होली का क्या कहना
आशा झा
दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )