क़दम क़दम पर | Kavita Kadam Kadam Par
क़दम क़दम पर
( Kadam Kadam Par )
क़दम क़दम पर,रात मिलेगी ।
सुबह हमें ख़ुद , करनी होगी ।
जब- जब, छायेगा अंधियारा ।
ख़ुद ही रौशनी , भरनी होगी ।
क़दम -कदम पर , दीप जलाकर ।
खोई राह , पकड़नी होगी ।
भुला कर घातों व , प्रतिघातों को ।
ज़िन्दगी बसर ये , करनी होगी ।
क़दम – क़दम पर , रात मिलेगी ।
सुबह हमें ख़ुद , करनी होगी ।
प्रगति दत्त
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