Kavita Koi Nek

कोई नेक | Kavita Koi Nek

कोई नेक

( Koi Nek )

 

कमी निकाले जो काम मे, करे सुधार की बात
समझिये बना रहा वह आपको, देगा भी वही साथ

मिलते सलाहकार बहुत, पर दिखाते नही राह
थामिये तुम हाथ उसका, जिसमे है तुम्हारी चाह

बगुलों की इस भीड़ में, दुर्लभ हंस का मिलना है
होगा किससे कल उज्ज्वल, यही तुम्हे परखना है

आज की पूर्णता मे हि, पूरी संपूर्णता नही होती
रखे जो आज खुश, उसमे निश्छलता नही होती

दो राहे पर जो खड़ा, उससे न लो दिशा का ज्ञान
थाह नही जिसे गहराई का, वह कैसे कराये स्नान

तारे अनगिनत नभ मण्डल में, सूरज भी तारा एक
गरज नही सौ के भीड़ की, चुन लो तुम भी कोई नेक

मोहन तिवारी

 ( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

नियति चक्र | Kavita Niyati Chakra

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *