कुर्सी | Kavita Kursi
कुर्सी
( Kursi )
पद एवं कुर्सी का मुद्दा
देशभक्ति, रोज़ी -रोटी
से भारी हो गया
ऐसा फ़रमान
दिल्ली से जारी हो गया
मर चुकी जन सेवा
देश सेवा की भावना
कुर्सी एवं पद के लिए
ओछे हथकंडे
घटिया दांव -पेंच
कल का जनसेवक
कलियुग का
जुआरी हो गया
वास्तविकता पर जब भी
चलाई है क़लम
इनकी नज़रों में बुरा
अन्सारी, हो गया।
जमील अंसारी
हिन्दी, मराठी, उर्दू कवि
हास्य व्यंग्य शिल्पी
कामठी, नागपुर
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