
माँ द्वारा बेटी को शिक्षा
( Maa dwara beti ko shiksha )
कई बार बिटियां का फ़ोन आता,
४ माह जिसकी शादी को हुआ।
बिटियां को जब भी आती याद,
फ़ोन करती वह आती जब याद।।
माँ ने प्रेम से बेटी को समझाया,
बार-बार फ़ोन ना करें बतलाया।
अब बिटियां तुम्हारा वही है घर,
सास है माँ और पिता जी ससूर।।
घर में पति का दिल है जीतना,
परिवार में सबकी सेवा तू करना।
अच्छा-बुरा अब वहाँ की सोचो,
फ़ायदा नुकसान वहाॅं की सोचो।।
हमारा क्या है हम भी जी लेगें,
घर में तुम्हारी जैसी बहु लायेगें।
आगे से फ़ोन कभी मत करना,
पूछकर सास को फ़ोन करना।।
मुझे ज़रूरत पर फोन में करुँगी,
लेकिन तेरी सास को ही करुँगी।
सास तुमसे वो बात करवा देगी,
हाल-चाल तुम्हारा में जान लूॅंगी।।
अपनें काम में यह दिल लगाओ,
घर का भेद मुझको ना बताओ।
ऐसा कभी भी कहती नही है माँ,
लेकिन तेरा भला चाहती यें माँ।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )