मनुष्य जीवन | Kavita Manushya Jeevan
मनुष्य जीवन
( Manushya Jeevan )
मानव जीवन की गाथा
तुमको सुनता हूँ।
जीवन का एक सत्य
तुमको बताता हूँ।
मानवता का दृश्य भी
तुमको दिखता हूँ।
किस्मत का भी खेल
तुमको बताता हूँ।।
आया हो संसार में
लेकर मानव जन्म।
पूरब भव में तुमने
किये थे अच्छे कर्म।
इसलिए तो तुमको
मिला है मानव जन्म।
अब निर्भर करता है
कैसे जीओगें तुम।।
जीवन में तुम देखो
होती बहुत परीक्षा।
किन-किन में देखो
होते हो कैसे पास।
कठिन साधना त्याग तपस्या
करना इसमें पड़ता।
तब जाकर दुनिया में
मनुष्य रह पाता है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन “बीना” मुंबई