टूट जाता है | Ghazal Toot Jata Hai
टूट जाता है
( Toot Jata Hai )
बिना जज्बात के रिश्ता सभी का टूट जाता है
अगर मतभेद हो घर में सयाना टूट जाता है
खिलौना दिल बनाकर जो किया था पेश दिलवर को
कहा उसने तुम्हारा ये खिलौना टूट जाता है
नही है शौक दर्पण को कि पत्थर से कभी खेले
उसे मालूम है अस्तित्व उसका टूट जाता है
वफ़ा की जाति पर बिल्कुल भरोसा अब नही करना
उसी से हार कर सुन लो सयाना टूट जाता है
महल हमनें बनाएँ थे रहेंगे अब खुशी से हम
इसी विश्वास में दिल आज अपना टूट जाता है
भरोसा मत कभी करना किसी की बात पर भी तुम
यहाँ अपनों की बातों में ही अपना टूट जाता है
जिसे चाहा प्रखर ने है यहाँ पर जान से ज्यादा
उसी की बात से दिल अब हमारा टूट जाता है
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )