मायके में | Kavita Mayke Mein
मायके में
( Mayke Mein )
मौसमों का आना जाना है मायके में
सावन से रिश्ता पुराना है मायके से
हरियाली तीज पर मायके आती हैं बेटियां
सावन के झूलों में झुलाई जाती हैं बेटियां
लाड़ जो पीछे छोड़ गई थी
आती है वापिस पाने को
मां पापा भी जतन करते,
बेटी के नाज़ उठाने को
भाभियों संग मेंहदी के रंग
खिल जाते हैं हथेली पर
बेटियां उन्मुक्त हो खिलखिलाती हैं
पीहर की दहेली पर
भाई शुभ मनाते हैं
बहना के पीहर आने को
फूले नहीं समाते,
राखी की डोर में बंध जाने को
चूड़ी, बिंदी, साज़ सिंगार
सब सखियों संग सजातीं हैं
बेटियां पीहर में आकर
यूं अपनी जगह बनातीं हैं
शिखा खुराना