Kavita Nand ke Lal
Kavita Nand ke Lal

बाल-गोपाल नन्द के लाल

( Bal-Gopal Nand Ke Lal ) 

 

बाल- गोपाल बाबा नन्द के लाल,
कर दो कन्हैया फिर ऐसा ‌कमाल।
जग मे रहें ना कोई दुःखी इन्सान,
जीवन बने यह सब का खुशहाल।।

सारे जगत के हो आप पालनहार,
भवसागर से करते है सबको पार।
बिन कृष्णा नाम के जीवन बेकार,
तुम्हारी लीला का पाया नही ‌पार।।

देवकीनन्दन तुम ‌‌यशोदा के लाल,
नन्द के घर आए स्वयं पालनहार।
बांके बिहारी व मुरलीधर, गोपाल,
राम और ‌श्याम तुम ही ‌तारणहार।।

जब- जब जुर्म बढ़े इस धरती पर,
आपने मानवरुप में लिए अवतार।
जानना है तो पढ़ लो पवित्र- ग्रन्थ,
तुम रामायण गीता हाथ में उठार।।

श्री हरि नारायण के प्रभु अंश बनें,
ये मत्स्य, क्रूण,वराह श्री राम बनें।
श्री कृष्ण, बुद्ध और परशुराम बनें,
राक्षसों और दुष्टों के संहारक बनें।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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