Kavita Nirbhik Bano

निर्भीक बनो आक्रामक नहीं | Kavita Nirbhik Bano

निर्भीक बनो आक्रामक नहीं

( Nirbhik bano akramak nahin ) 

 

निडर बने निर्भीक बने स्वाभिमानी बन जाए।
आक्रामक स्वभाव उग्र मित्र कभी ना बनाए।

बुलंद हौसलों से बुलंदी सफलता मेहनत पाती।
मधुरागिनी कोयल काली वाणी सबको भाती।

जोश जज्बा हौसलों से पराक्रमी पहचान बनो।
वीर वसुंधरा भारती है बड़ी निराली शान बनो।

बलवीर हो महावीर हो रणवीर हो तुय महाबली।
महायोद्धा शूरवीर हो महासमर में हो खलबली।

आक्रमण रण में करते आक्रामक होकर लड़ो वीर।
बहादुरी के करतब खेलो रण कौशल धरो रणवीर।

बात बात पर आक्रामक उत्तेजित होना ठीक नहीं।
अपना आपा खुद खो देना सेहत खोना ठीक नहीं।

लाल-लाल आंखें दिखाना नैन दिखाना ठीक नहीं।
निर्बल पर रौब जमाना वीरता जताना ठीक नहीं।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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