साथ दो तुम अगर | Kavita Saath do Tum Agar
साथ दो तुम अगर
( Saath do tum agar )
साथ दो तुम हमारा अगर,
जिन्दगी भर बन हमसफ़र।
चाहे वक्त की हो कई मार,
बनके रहना कश्ती पतवार।।
देना सारे मुझको अधिकार,
कभी न छोड़ना तू मझदार।
स्नेह बरसाना व देना प्यार,
बनकर रहना तू समझदार।।
कर्म होता जीवन का सार,
और कर्म प्रधान ही संसार।
कर्म करे वो फलेगा फूलेगा,
न करे उसका कर्म सोएगा।।
वेद पुराण भी यही है कहते,
जैसी करनी वो वैसी भरनी।
कर्म का रहता लेखा जोखा,
ईश्वर को दे सकते न धोखा।।
नही घबराएँ देख दुःख कोई,
कर्म जगाये सोये भाग सारे।
कर्म से आये घर में खुशियाँ,
देखे दुख उसे मिले खुशियाँ।।
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