Safar

सफर | Kavita Safar

सफर

( Safar )

 

हंसाती भी है रुलाती भी है जिंदगी
न जाने कितने मोड पर लाती है जिंदगी

कटते जाता है सफर दिन रात की तरह
मौसम के जैसे बदलती जाती है जिंदगी

मिलते हैं अपने भी और पराये भी यहाँ
सभी के साथ ही गुजरती जाती है जिंदगी

बहते रहना है हमें नदी के प्रवाह की तरह
उठती और गिरती चली जाती है जिंदगी

खो हि जाना है वक्त के महासागर में सभी को
बूंद तो किसी की सागर कहलाती है जिंदगी

राह में नदी नाले भी हैं गंगा के घाट भी
सोच के प्रवाह संग बहती जाती है जिंदगी

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *