समय के लम्हे | Kavita Samay ke Lamhe

समय के लम्हे

( Samay ke Lamhe )

काश! समय के वो लम्हे
फिर से वापस आ जाएं ।
मुरझाए जो फूल पलाश के
फिर से हर्षित हो जाएं।।

फिर से हो चुहलबाज़ी
उन तिरछी नजरों की।
बिन बोले ही कहते जो
बातें उन अधरों की।
ये चुप्पी साधे होंठ फिर से
मंद मंद मुस्काएं ।।

काश! समय के वो लम्हे…..

आओ फिर से करें मनुहारें !
रूठने और मनाने की ।
दबे पांव चुपके चुपके, वो
हौले से आ जाने की ।
इस देरी के लिए भी फिर से
कोई नया बहाना बनाएं।।

काश! समय के वो लम्हे……

बेला और चमेली चंपा
जूही सी वो सखियॉं।
याद आती हैं अब भी मुझको
बेमतलब की बतियॉं।
बैठ घाट पर चॉंदनी रात में
सपनों की नाव चलाएं।।

काश! समय के वो लम्हे
फिर से वापिस आ जाएं।।

डॉ. जगदीप शर्मा राही
नरवाणा, हरियाणा।

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