सावन की फुहार | Kavita Sawan ki Fuhar
सावन की फुहार
( Sawan ki Fuhar )
सावन की पड़ें फुहार
तन मन में मस्ती छा जाए
मेघा गाएं राग मल्हार
जियरा धक-धक करता जाए ।।
जियरा धक-धक करता जाए
दिल में कोई हूक उठाए
धरती अंबर का ये प्यार
जियरा धक-धक करता जाए।।
सावन की पड़े फुहार
तन-मन में मस्ती छा जाए ।।
बागों में कोयल बोली
गोरी ने घूंघट खोली
मोर-पपीहे करें पुकार
जियरा धक-धक करता जाए।।
सावन की पड़ें फुहार
तन-मन में मस्ती छा जाए।।
बागों में पड़ गए झूले
दिन याद आ गए भूले
ताई रही नाड़ नै मार
जियरा धक-धक करता जाए।।
सावन की पड़ें फुहार
तन-मन में मस्ती छा जाए।।
आवैं याद कोथली संधारे
वैं भी दिन थे न्यारे-न्यारे
बहना भाई का ये प्यार
जियरा धक-धक करता जाए।।
सावन की पड़ें फुहार
तन-मन में मस्ती छा जाए।।
आम नीम और जामुन
फल देवें सारा सामण
बच्चे खां किलकारी मार
जियरा धक-धक करता जाए।।
सावन की पड़ें फुहार
तन-मन में मस्ती छा जाए।।
आया तीजों का त्यौहार
झूला झूलें सब नर-नार
डॉ. राही का ये प्यार
जियरा धक-धक करता जाए।।
सावन की पड़ें फुहार
तन-मन में मस्ती छा जाए।
मेघा गाएं राग मल्हार
जियरा धक-धक करता जाए।।
डॉ. जगदीप शर्मा राही
नरवाणा, हरियाणा।