Kavita Shaswat Prashn
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शाश्वत प्रश्न

( Shaswat Prashn )

 

मैं कौन हूं आया कहां से
हूं यहां !
यह नहीं मालूम, है पुन:
जाना कहां !!

किसलिए हैं आए जगमें,
और फिर क्यौं जाएंगे!
इस राज को इस जन्म में,
क्या समझ हम पायेंगे!!

कुछ दिनों की जिंदगी के बाद
होगा क्या मेरा !
नजाने फिर, कहां होगा
आशियाना मेरा !!

जिंदगी का खेल है अद्भुत निराला,
खेलता यह कौन है !
भावनाओं को जगा कर इस तरह
झकझोरता यह कौन है !!

जिंदगी का चक्र है क्या
यह समझ आता नहीं !
जिज्ञासु जन की जिज्ञासा
क्यों सुलझ पाता नहीं !!

एकाग्रचित्त मन स्थिर कर
धरो ईष्ट का ध्यान !
अंतस में ही दिख जाएगा
अपना भगवान !!

शंकाएं सब मिट जाएंगी
होगा आत्मज्ञान का भान !
ध्यान रहे बस इतना मनमें
कभी नहीं आए अभिमान !!

Kamlesh  Vishnu

कमलेश विष्णु सिंह “जिज्ञासु”

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