स्नेहका संचार | Kavita Sneh ka Sanchar
स्नेहका संचार
( Sneh ka Sanchar )
आदमी का मानवीय
व्यवहार होना चाहिए !
हर हृदय में स्नेह का
संचार होना चाहिए !!
खिल सके अपना चमन,
यह एकता के भाव से !
हो उल्लसित सारा जहां
स्नेह व सद्भाव से !!
त्यागकर इंसानियत को
बढ़ नहीं पाएंगे हम !
अपनेपन से ही सभी के
दिल में बस जाएंगे हम !!
राग का अनुराग से
अनुबंध होना चाहिये !
प्रेम का “जिज्ञासु” मन
मकरंद होना चाहिये !!
कमलेश विष्णु सिंह “जिज्ञासु”