Kavita Taaboot

ताबूत | Kavita Taaboot

ताबूत

( Taaboot )

 

गुजर जाती हैं बातें भी, गुजरे हुए दिन की तरह
छोड़ जाती हैं दर्द भी चुभती कील की तरह

रख लो दिल में भले, किसी को जितना चाहो
रहोगे बातों में मगर तुम, किसी गैर की तरह

रहो लुटाते जान अपनी, ये जान तो तुम्हारी है
झटक देंगे आन पर अपनी, पराये की तरह

हुए नही रिश्ते सगे आज, जब खून के हि अपने
बह जाते हैं रिश्ते माने मनाये, भी पानी की तरह

बदला हुआ है वक्त, यकीन हो भि तो हो कितना
चल रहे हैं ताबूत मे, जैसे जिंदा लाश की तरह

कहते सभी कि हम, हो गये हैं भीड़ में अकेले
चाहते भि नहीं होना अपना, खुद के साये की तरह

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *