Kavita Vasantik Navratri Pancham

चैत्र माह शुक्ल पक्ष नवमी

चैत्र माह शुक्ल पक्ष नवमी

रामलला सूर्य अभिषेक,अद्भुत अनुपम विशेष

हिंदू धर्म रामनवमी अनूप पर्व ,
सर्वत्र उमंग हर्ष उल्लास ।
परिवेश उत्सविक अनुपमा,
रज रज राम राग रंग उजास ।
जनमानस भाव विभोर हर्षल,
आध्यात्म ओज मनोरमा अधिशेष।
रामलला सूर्य अभिषेक,अद्भुत अनुपम विशेष ।।

चैत्र माह शुक्ल पक्ष नवमी,
राघव दशरथ अवतरण पर्व ।
भव्य पुनर्वसु नक्षत्र कर्क लग्न,
कौशल्या उत्संग उपमित त्रेता गर्व ।
सूर्य पुत्र इक्ष्वाकु वंश शोभित,
सप्तम विष्णु अवतारी उन्मेष ।
रामलला सूर्य अभिषेक,अद्भुत अनुपम विशेष ।।

अयोध्या सह संपूर्ण विश्व पटल,
अद्य वर्ष आयोजन मंगलदायक ।
रामलला प्राण प्रतिष्ठा उपरांत,
श्री राम स्तुति आनंद प्रदायक।
सूर्य देव अनंत कृपालु वृष्टि,
साक्षात रामलला दृश परितेष ।
रामलला सूर्य अभिषेक ,अद्भुत अनुपम विशेष ।।

दिव्यता संग अभियांत्रिकी प्रज्ञा,
बौद्धिक प्रयास अनुपम दृष्टांत।
धर्म आस्था परम शिखर बिंब,
जीवन सुख समृद्ध वैभव कांत ।
मर्यादा पुरुषोत्तम जन्मोत्सव बेला,
सर्व अनंत हार्दिक शुभकामनाएं अशेष ।।
रामलला सूर्य अभिषेक ,अद्भुत अनुपम विशेष ।।

वासंतिक नवरात्र अष्टम दुर्गाष्टमी

अलौकिक सिद्धियों की वृष्टि, मां महागौरी श्री वंदन से

सनातन धर्म दिव्य मनोरमा,
दुर्गाष्टमी पुनीत महापर्व ।
नवरात्र आध्यात्म उजास,
सृष्टि रज रज क्षेत्र सर्व ।
जगदंबें नव रूप अति हर्षित ,
मां श्वेतवर्णी आभा मंथन से ।
अलौकिक सिद्धियों की वृष्टि, मां महागौरी श्री वंदन से ।।

चतुर्भुजा मां शक्ति ऐश्वर्य सह,
सौंदर्य अप्रतिम प्रतिमूर्ति ।
वृषभारूढ़ा शोभित छवि,
शंख चंद्र कुंद उपमा कीर्ति ।
करस्थ भव्य त्रिशुल डमरू,
मुद्रा अभय वर स्पंदन से ।
अलौकिक सिद्धियों की वृष्टि, मां महागौरी श्री वंदन से ।।

उज्ज्वला स्वरूपा मां दुर्गा,
सुख समृद्धि शांति प्रदायक।
चैतन्यमयी त्रैलोक्य मंगला,
सर्व ग्रह दोष मूल निवारक ।
करूणामयी साधना उपासना ,
साधक विमुक्त कष्ट दुःख क्रंदन से ।
अलौकिक सिद्धियों की वृष्टि, मां महागौरी श्री वंदन से ।।

कैलाश वासिनी मृदुला दर्शन,
जीवन उपवन नित सुरभित ।
मोरपंखी मोगरा प्रिया भवानी,
कन्या पूजन विधान निहित ।
हिम श्रृंखला शाकंभरी अवतरण,
देवगण विनय अर्चना मंडन से ।
अलौकिक सिद्धियों की वृष्टि, मां महागौरी श्री वंदन से ।।

वासंतिक नवरात्र सप्तम

रूप विकराल रुद्र श्रृंगार, अंतस मृदुल मंगल धार

मां दुर्गे कालरात्रि आभा,
अद्भुत अनुपम मनोहारी ।
सघन तिमिर सम वर्णा दर्शन,
साधक जन अति शुभकारी ।
संपूर्ण ब्रह्मांड सिद्धि वृष्टि,
सर्वत्र खुशियां आनंद बहार ।
रूप विकराल रुद्र श्रृंगार, अंतस मृदुल मंगल धार ।।

महायोगीश्वरी महायोगिनी शुभंकरी,
मां कालरात्रि अन्य नाम ।
रौद्र छवि अप्रतिम झलक,
दानवी शक्ति काम तमाम ।
देवलोक अग्र पद काज,
शुम्भ निशुम्भ रक्त बीज संहार ।
रूप विकराल रुद्र श्रृंगार, अंतस मृदुल मंगल धार ।।

चार भुजा त्रिनेत्र विशाल ,
कर खड़ग लौह अस्त्र धारी ।
गर्दभारुढा अभय वर मुद्रा,
सदैव भक्तजन हितकारी ।
शत्रु विजय दृढ़ संकल्प पथ,
मां अलौकिक शक्ति अपार ।
रूप विकराल रुद्र श्रृंगार, अंतस मृदुल मंगल धार ।।

नील वर्ण प्रिया माता,
भय रोग संताप हरण ।
भूत प्रेत अकाल मृत्यु,
सहज समाधान श्री चरण ।
महासप्तमी परम साधना,
सुख समृद्धि स्वप्न साकार ।
रूप विकराल रुद्र श्रृंगार, अंतस मृदुल मंगल धार ।।

वासंतिक नवरात्र षष्ठ

पुरुषार्थ सहज सुफलन, मां कात्यायनी आराधना से

वर्तमान विज्ञान प्रौद्योगिकी युग,
मां दुर्गा षष्ठी छवि पूजन विशेष ।
शोध अनुसंधान दक्षता मैया,
जीवन कृपा दृष्टि अधिशेष ।
जन्म जन्मांतर पाप मुक्ति,
ब्रजमंडल अधिष्ठात्री साधना से ।
पुरुषार्थ सहज सुफलन, मां कात्यायनी आराधना से ।।

केहरी आरूढ़ा मात भवानी,
दिव्य आभा चार भुजा धारी ।
दाएं कर अभय वर मुद्रा,
बाएं खड़ग कमल शोभा न्यारी ।
रोग संताप भय मूल विनिष्ट,
मां श्री चरण स्तुति प्रार्थना से ।
पुरुषार्थ सहज सुफलन, मां कात्यायनी आराधना से ।।

महर्षि कात्यायन सुता हित,
सौम्य सुशील नामकरण ।
भगवान श्री कृष्ण कुलदेवी,
पराशक्ति आस्था आवरण ।
सुख समृद्धि आनंद अथाह,
मां भगवती छठवीं शक्ति अर्चना से ।
पुरुषार्थ सहज सुफलन,मां कात्यायनी आराधना से ।।

महिषासुर मर्दिनी पराम्बा दुर्गे,
नवरात्र महिमा अपरम्पार ।
स्वर्ण भास्वर सम भव्य रूप,
साधक मन आज्ञा चक्र धार ।
जीवन पथ सदा शुभ मंगल,
अमोघ फलदायिनी उपासना से ।
पुरुषार्थ सहज सुफलन, मां कात्यायनी आराधना से ।।

वासंतिक नवरात्र पंचम

 

मां दुर्गे का पंचम रूप,अपरिमित स्नेह सागर

पंचम चैत्र नवरात्र अद्भुत
मां स्कंद माता परम दर्शन ।
पूजा अर्चना स्तुति शीर्षस्थ,
ममतामयी अनुपम स्पर्शन ।
योग परिक्षेत्र निर्वहन भवानी,
पुनीत सानिध्य सम अभिजागर ।
मां दुर्गे का पंचम रूप,अपरिमित स्नेह सागर ।।

उर स्थिति विशुद्ध चैतन्य,
साधना मार्ग फलन छोर ।
उपमा गौरी पार्वती माहेश्वरी ,
भक्ति शक्ति सिद्धता ठोर ।
जन वैचारिकी सकारात्मक ,
नारी जगत स्पंदन आदर ।
मां दुर्गे का पंचम रूप,अपरिमित स्नेह सागर ।।

जय माता दी दिव्य उद्घोष,
जन जन मंगलता संचरण ।
दुःख कष्ट मूल विलोपन,
रज रज खुशियां अवतरण ।
सूर्य मंडल अधिष्ठात्री मां,
परिपूर्ण सुख समृद्धि गागर ।
मां दुर्गे का पंचम रूप, अपरिमित स्नेह सागर ।।

वंदन अभिनंदन स्कंद मात,
धर्म निष्ठता अप्रतिम पथ ।
सरित प्रवाह भक्ति रस,
सफल साधकगण मनोरथ ।
ऊर्जस्वित उपासना भाव,
जीवन दिशा दशा नागर ।
मां दुर्गे का पंचम रूप,अपरिमित स्नेह सागर ।।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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