विश्व पृथवी दिवस | Kavita Vishwa Prithvi Divas
विश्व पृथवी दिवस
( Vishwa Prithvi Divas )
पृथ्वी या पृथिवी या मानो विशाल धरा
बसता इसके ऊपर ही सृष्टि हरा भरा
भू भूमि वसुधा कहो या वसुंधरा
धन संपदा का है मुझ में भंडार भरा
पेट की छुदा मिटाने को मैं हूं धरित्री
संतान का पोषण करती जैसे मां जीवन दात्री
धूप छांव सर्दी गर्मी प्राकृतिक आपदा विपदा को सहती हूं
इसीलिए तो सब कहते हैं कि मैं माता धरती हूं
रसातल ना बनाओ हमको
मैं हूं रसा रत्नगर्भा
सूरज की किरणें चंदा की किरणें ओढ़े मैं हूं स्वयं प्रभा
बंजर ना मैं होना चाहूं मेरी कोख ना उजाड़ो तुम
फले फूले बस तेरी खातिर
हे मानव हमको बचा लो तुम
डॉ बीना सिंह “रागी”
( छत्तीसगढ़ )
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