Kavita waah zindagi
Kavita waah zindagi

वाह जिंदगी

( Waah zindagi )

 

वाह जिंदगी वाह क्या बात !
तूने याद दिलादी,
मुझे मेरी पहली मुलाकात !

 

यू आईने के सामने खड़ा रहा घंटों
देख रहा था शायद
अपना वो पहला सफेद बाल!

 

मिला मुझे जब वह करीब से
मैंने रंग डाला उसे,
काले रंग से तुरंत निकाल !

 

पहले थोड़ा घबराया सा था देख
उम्र का एहसास हुआ
फिर सोचा अच्छा शुरुआत हुआ!

 

अब दिन मौज मस्ती से गुजारने हैं,
बहुत जिलिए सबके लिए ,
कुछ अपने लिए भी दिन निकालने हैं।

 

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

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