Kavita ye Roop Rang

ये रूप रंग ये चाल ढाल | Kavita ye Roop Rang

ये रूप रंग ये चाल ढाल

( Ye roop rang ye chaal dhaal ) 

 

ये रूप रंग ये चाल ढाल ये तेवर क्यों नखराले है।
गोरे गोरे गाल ये काली जुल्फे नैन तेरे मतवाले है।

बहकी बहकी नजरें तेरी बाल तेरे घुंघराले है।
गोरा बदन संगमरमर सा दीवाने डूबने वाले हैं।

चाल मोरनी सी तेरी पायल घुंघरू बजने वाले हैं।
कानों में झूमके झूम झूम सुर ताल सजने वाले हैं‌।

होंठ रसीले नैन शराबी घटा से बरसने वाले हैं।
झील सी आंखों में डूबे रसधार भीगने वाले हैं।

धड़कनें तराने गाती दिल के सारे तार जुड़ने वाले हैं।
देख के अदाएं भावन परदेसी घर को मुड़ने वाले हैं।

साज बाज सारे फीके सुर संगीत छूटने वाले हैं।
दिल को करार मिले मन में लड्डू फूटने वाले हैं।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

राधा रंग में हुई रंगीली | Kavita Radha Rang mein Hui Rangili

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *