Kavita yug

युग | Kavita yug

युग

( Yug )

 

युगो युगो से परिवर्तन की आंधी चलती आई
हम बदलेंगे युग बदलेगा सब समझो मेरे भाई

 

सत्य सादगी सदाचरण जीवन में अपनाओ
युग निर्माण करने वालों प्रेम सुधा बरसाओ

 

त्रेतायुग में रामचंद्रजी मर्यादा पुरुष कहलाए
द्वापरयुग में द्वारिकाधीश माखन मिश्री खाए

 

कलयुग में महापुरुषों ने शुभ कर्म किए भारी
जनहित जीवन बिताया याद करे दुनिया सारी

 

सद्भावों की धाराये दिलों में अपनापन अनमोल
हर युग में स्वर्णाक्षर बन जाते हृदय के मीठे बोल

 

बड़े-बड़े महारथियों ने हर युग में करतब दिखलाए
कीर्तिमान स्थापित कर जग में यश परचम लहराए

 

साधु संत ऋषि मुनि ज्ञानी तप युगो युगो से करते
भक्ति साधना योग ध्यान वरदानों से झोली भरते

 

महाशक्ति सम्राटों ने भी सदा रचा युगों में इतिहास
राजनीति सिरमौर बने जीता जन जन का विश्वास

 ?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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One Comment

  1. सद्भावों की धाराये दिलों में अपनापन अनमोल
    हर युग में स्वर्णाक्षर बन जाते हृदय के मीठे बोल ।
    वाणी ही दोस्त बनाती है तो वाणी ही दुश्मन…
    मीठे बोल भी वही बोल सकता है जिसके हृदय में सद्भाव हो…
    बहुत ही सुन्दर सृजन।

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