कोई नहीं देगा | Koi Nahi Dega
कोई नहीं देगा
क़सम खाते हैं सब झूठी ये जाँ कोई नहीं देगा
मुसीबत में सहारा भी यहाँ कोई नहीं देगा
सभी अपने दग़ा देंगे, ज़माना लूट लेगा भी
तेरी झोली में ला कर आसमाँ कोई नहीं देगा
तुझे अपनी विरासत को ख़ुद ही महफ़ूज़ रखना है
हिफ़ाज़त बन के तुझको पासबाँ कोई नहीं देगा
यहां कागज़ पे तो सब घर दिलाते हैं ग़रीबों को
यही सच है,हक़ीक़त में मकाँ कोई नहीं देगा
लुटा दे जां मुहब्बत में नहीं ऐसा यहाँ कोई
हैं आशिक़ बेवफ़ा सब इम्तिहाँ कोई नहीं देगा
यही दस्तूरे दुनिया है,जले पर सब नमक छिड़कें
कभी मरहम तो,बन के मेह्रबाँ कोई नहीं देगा
ज़मीं जन्नत बना दें जो मसीहा है कहाँ ऐसे
ख़ुशी दिल को तेरे मीना यहाँ कोई नहीं देगा
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
यह भी पढ़ें:-