लोहड़ी | lohri kavita
लोहड़ी
( Lohri )
( 2 )
लोहड़ी सिख व हिंदू का प्रमुख त्यौहार, मनाते हैं,
इस त्यौहार पर बेहद खुशी व उत्साह दिखाते हैं।
लोहड़ी से फसलों की कटाई शुरू हो जाती है,
इसी वजह से फसल कटाई का जश्न मनाते हैं।।
यह त्यौहार हमारे लोककथाओं को बतलाता है,
पारिवारिक परंपराओं से इसका गहरा नाता है।
सभी लोग अग्नि देव की पूजा करते हैं इस दिन,
ये उत्सव गर्मी और समृद्धि का प्रतीक दर्शाता है।।
लकड़ी, सुखे उपले, रेवड़ी का ये है त्योहार,
मूंगफली,तिल,गुड़,गजक से है सबको प्यार।
चिवड़े ,मक्के को लोहड़ी की आग पर वारना,
कितना प्यारा, सबसे न्यारा, ये मेरा त्यौहार।।
लोहड़ी या लाल लोई के नाम से भी जानते हैं,
हर वर्ष मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाते हैं।
पारंपरिक पंजाबी लोकगीत गाते हैं यहां सब लोग,
सभी लोग इस त्योहार से नई ऊर्जा प्राप्त करते हैं।।

प्रभात सनातनी “राज” गोंडवी
गोंडा,उत्तर प्रदेश
( 1 )
पंजाबी लोहडी मनाते हैं झूमते हंसते गाते हैं
तिल गुड़ मेंवे लाते हैं बांटते सब को खिलाते हैं
नया जब धान आता है हृदय शुभ गान गाता है
होठों पे मुस्कानें होती खुशियों का पल आता है
बहारें घर घर में आती सबके चेहरों पर छाती
मंगलगीत लबों पे आए नारियां झूमकर गाती
सद्भावों की गंगा बहती दान पुण्य का दिवस यह
ठंडी-ठंडी पुरवाई में सह लेता सर्दी नर अटल रह
खेतों में शहनाई बजे पगडंडी सब मिल जाते
बच्चे बूढ़े और जवान सबके चेहरे खिल जाते
हर्ष उमंगे लाता है समरसता भाव फैलाता है
घट घट प्रेम उमड़ता है मेरा देश हर्षाता है

कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )







