लोहड़ी | lohri kavita
लोहड़ी
( lohri )
पंजाबी लोहडी मनाते हैं झूमते हंसते गाते हैं
तिल गुड़ मेंवे लाते हैं बांटते सब को खिलाते हैं
नया जब धान आता है हृदय शुभ गान गाता है
होठों पे मुस्कानें होती खुशियों का पल आता है
बहारें घर घर में आती सबके चेहरों पर छाती
मंगलगीत लबों पे आए नारियां झूमकर गाती
सद्भावों की गंगा बहती दान पुण्य का दिवस यह
ठंडी-ठंडी पुरवाई में सह लेता सर्दी नर अटल रह
खेतों में शहनाई बजे पगडंडी सब मिल जाते
बच्चे बूढ़े और जवान सबके चेहरे खिल जाते
हर्ष उमंगे लाता है समरसता भाव फैलाता है
घट घट प्रेम उमड़ता है मेरा देश हर्षाता है
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )