Mahua par kavita

महुआ | Mahua par kavita

महुआ

( Mahua )

 

औषधीय-गुणों का जिसमें भरा है ख़ज़ाना,
वैज्ञानिकों ने भी आज इसी-बात को माना।
इसका ‌बीज-छाल हर पत्ता भी है उपयोगी,
इसके निकलें हुये तेल से बनातें हम खाना।।

बनाई जाती है इससे ढ़ेर तरह की दवाईयाॅं,
जिससे ठीक होती है मरीज़ की बिमारियाॅं।
एक्जिमा मिर्गी बवासीर में होता है आराम,
ठीक होते है डायबिटीज़ रोगी और गठियाॅं।।

महुआ है इस उष्णकटिबंधीय पेड़ का नाम,
जिसे खीर पूरी हलुआ मिठाई में लेंते काम।
गैस‌-एसीडिटी एवं कमजोरी करता यह दूर,
त्वचा सम्बंधित रोगों में भी होता है आराम।।

टाॅनसिलाइटिस ब्रोंकाइटिस एवं लिकोरिया,
हृदय रोग मीनोरेजिया और यें पाॅलीयूरिया।
इनमें फायदेमंद होता महुआ फूलों का रस,
पायरिया मुॅंह-दुर्गंध और उसके बैक्टीरिया।।

मंदिरा बनाने में भी लेतें है इसका इस्तेमाल,
वैज्ञानिक नाम दिया मधुका-लोंगिफोलिया।
इससे मिलता आयरन प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट,
फास्फोरस‌ फैट कैल्शियम चाहें हों पत्तियां।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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