Man par Kavita
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मन मत कमजोर होने दो

( Man mat kamjor hone do ) 

 

मन मत कमजोर होने दो बीमार हो जाएगा।
अच्छा खासा तन तुम्हारा बेकार हो जाएगा।

भर लो उमंगे मन में फिर बेड़ा पार हो जाएगा।
तन में होगी ताजगी मन चुश्ती फुर्ती पाएगा।

मन को लगाओ काम में फिर नाम हो जाएगा।
आम के आम गुठलियों का दाम हो जाएगा।

मन में प्रेम श्रद्धाभाव हो शुभ काम हो जाएगा।
यश कीर्ति वैभव मिले जब परचम लहराएगा।

मन में उठती प्रीत लहरें प्रेम तराना आएगा।
तन मन में उल्लास भर गीत सुहाना गाएगा।

मन चंगा कर लो भाई तन खुद चंगा हो जाएगा।
मन मयूरा झूमे नाचे चेहरे पर खुशियां लाएगा।

 

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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